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Chakradhar Samaroh

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  • श्री राकेश शर्मा, श्रीमती निशा शर्मा
  • श्री राकेश शर्मा, श्रीमती निशा शर्मा
  • सुश्री उपासना भास्कर
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07/09/2024, शनिवार

 

उद्घाटन समारोह

संगीत एवं कलाधानी नगरी रायगढ़ में आज 39 वें चक्रधर समारोह का भव्य एवं रंगारंग आगाज हुआ। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने 10 दिन तक चलने वाले इस समारोह का विधिवत शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि संगीत सम्राट महाराज चक्रधर ने शास्त्रीय कला संगीत को विश्व में एक नई पहचान दिलाई है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के गारंटी को सायं-सायं पूरा कर रही है। उन्होंने प्रदेश के किसानों, गरीबों सहित सभी वर्गों का आश्वस्त करते हुए कहा कि उनकी सरकार राज्य के प्रगति के लिए पूरी प्रतिबद्धता से काम कर रही है। उन्होंने स्थानीय कला संस्कृति के साथ-साथ पारंपरिक विरासत को सहेजने के लिए हर संभव मदद का भरोसा दिलाया। उन्होंने इस मौके पर रायगढ़ में संगीत महाविद्यालय प्रारंभ करने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने संगीत और कला के क्षेत्र में योगदान देने वाले संगीत के मर्मज्ञ विद्वतजनों को नमन किया। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर रायगढ़ के शैल चित्रों पर आधारित अभिलेखीकरण पुस्तिका एवं चक्रधर समारोह की परिचय पुस्तिका का विमोचन किया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर पत्रकार श्री विनय पाण्डेय द्वारा ब्राम्हीलिपि एवं खरोष्ठी लिपि में अनुसंधान पर आधारित कॉफी टेबल बुक का भी विमोचन किया। श्री पाण्डेय द्वारा इस मौके पर मुख्यमंत्री को ब्राम्ही लिपि में लिखी नाम पट्टिका भेंट की गई।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि विगत पांच सालों में चक्रधर समारोह का आयोजन फीका पड़ गया था, अब रायगढ़ के विधायक और हमारे सरकार में वित्त मंत्री श्री ओपी चौधरी की पहल से चक्रधर समारोह के आयोजन को और बेहतर तथा भव्य स्वरूप दिया गया है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ को प्रकृति ने भरपूर खनिज संपदा से नवाजा है। यहां हीरा, कोयला, लोहा का भरपूर भंडार है, यहां की धरती में भरपूर उर्वरा शक्ति है। मेहनतकश किसान और हम सब मिलकर छत्तीगसढ़ को कृषि प्रदेश बनाने की दिशा में कार्य करेंगे। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने किए गए वायदे के अनुरूप प्रदेश के किसानों से प्रति एकड़ 21 क्विंटल 3100 रूपए के भाव से खरीदने का वायदा पूरा किया। तेन्दूपत्ता का पारिश्रमिक दर प्रति मानक बोरा 4000 रूपए से बढ़ाकर 5500 रूपए किया गया। महतारी वंदन योजना के तहत 70 लाख से अधिक माताओं-बहनों को उनके खाते में राशि अंतरित करने का काम कर रही है। श्रीरामलला दर्शन योजना से यहां के लोगों को प्रभु श्रीराम का दर्शन करने का अवसर मिला है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने अभी दो दिन पहले ही छत्तीसगढ़ को साढ़े आठ लाख से अधिक परिवारों के लिए प्रधानमंत्री आवास की स्वीकृति प्रदान की है, हम इसके लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद ज्ञापित करते हैं। मुख्यमंत्री श्री साय ने चक्रधर समारोह को नये स्वरूप में भव्य और आकर्षक रूप में आयोजित करने के लिए संस्कृति एवं पर्यटन विभाग को बधाई दी।

कृषि विकास एवं किसान कल्याण मंत्री श्री रामविचार ने कहा कि महाराज चक्रधर ने रायगढ़ घराना के कला संगीत को संजोकर रखा है। उन्होंने कला संगीत को देश और दुनिया में एक नई ऊंचाई देने का काम किया है। उनके इस योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि सम्राट चक्रधर शास्त्रीय कला संगीत के साथ-साथ स्थानीय कलाकारों को मंच प्रदान कर कला संस्कृति को एक नया आयाम दिया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में प्रदेश की कला संस्कृति, यहां की विरासत के संरक्षण और संवर्धन के लिए तत्परता से काम कर रही है।

वित्त मंत्री श्री ओ.पी.चौधरी ने चक्रधर समारोह के शुभारंभ समारोह को संबोधित करते हुए कहा चक्रधर समारोह को एक भव्य तरीके से आयोजित किया जाएगा और आज उसे जिला प्रशासन, संस्कृति विभाग और पर्यटन विभाग के सहयोग से आज भव्य स्वरूप में आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस आयोजन में देश के प्रतिष्ठित आठ पद्मश्री कलाकार भाग लेने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि चक्रधर समारोह की महत्ता अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि देश के विभिन्न  प्रांतो के नामी-गिनामी कलाकार यहां अपनी प्रस्तुति देने की अभिलाषा रखते हैं। उन्होंने इस भव्य आयोजन के लिए जिला प्रशासन सहित आयोजकों को बधाई और शुभकामनाएं दी।

इस मौके पर राज्यसभा सांसद श्री कुंवर देवेन्द्र प्रताप सिंह, रायगढ़ सांसद श्री राधेश्याम राठिया, राजपरिवार के श्रीमती उर्वशी सिंह, श्रीमती बिजया सिंह सहित अन्य जनप्रतिनिधि एवं बड़ी संख्या में नागरिकगण उपस्थित थे।

श्रीमती हेमा मालिनी

रायगढ़ में आज से शुरू हुए चक्रधर समारोह में प्रख्यात अभिनेत्री, नृत्यांगना एवं सांसद श्रीमती हेमा मालिनी एवं उनकी टीम द्वारा भरतनाट्यम पर रासबिहारी नृत्य नाटिका की शानदार प्रस्तुति दी। नृत्य नाटिका रासबिहारी की मनमोहक प्रस्तुति से कलाप्रेमी और दर्शक मंत्रमुग्ध हो उठे। इस प्रस्तुति के बीच में कई प्रसंगों के मध्य दर्शकों ने जोरदार तालियां बजाकर कलाकारों का उत्साहवर्धन किया। श्रीमती हेमा मालिनी और उनकी टीम द्वारा प्रस्तुत रासबिहारी नृत्य नाटिका भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला, आराधना, संयोग-वियोग के प्रसंग दर्शकों को अभिभूत कर गए।

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    माननीय मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय द्वारा चक्रधर समारोह का उदघाटन
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    माननीय मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय द्वारा चक्रधर समारोह का उदघाटन
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    अभिनेत्री, नृत्यांगना एवं सांसद श्रीमती हेमा मालिनी
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    अभिनेत्री, नृत्यांगना एवं सांसद श्रीमती हेमा मालिनी
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    अभिनेत्री, नृत्यांगना एवं सांसद श्रीमती हेमा मालिनी

08/09/2024, रविवार

श्री विजय शर्मा

चक्रधर समारोह के द्वितीय दिवस लोक गायन के रूप में श्री विजय शर्मा एवं टीम ने दी अपनी पहली प्रस्तुति
छत्तीसगढी गानों ने से मंत्र मुग्ध हुए दर्शक, कोरी कोरी नारियल चढ़े, महुआ झरे गानों ने दर्शकों का जीता दिल

सुश्री वाणी राव

39 वें चक्रधर समारोह में विख्यात शास्त्रीय गायिका भोपाल की सुश्री वाणी राव ने अपनी मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रस्तुति से श्रोताओं को मोहित कर दिया। आज उनकी शास्त्रीय गायन में भगवान गणेश वंदना के पश्चात पूरिया धनाश्री में बड़ा ख्याल, छोटा ख्याल की प्रस्तुति ने समारोह में आध्यात्मिक और सांगीतिक माहौल बनाया ।
वाणी राव ने पारंपरिक रागों की खूबसूरत प्रस्तुति दी उनके सुरों की सादगी और भावप्रवणता ने समारोह में उपस्थित संगीत प्रेमियों का मन मोह  लिया।

डॉ पूर्णाश्री राउत

डॉ पूर्णाश्री राउत के ओडिसी नृत्य ने किया दर्शकों को मंत्रमुग्ध
प्रसिद्ध ओडिसी नर्तक डॉ. पूर्णाश्री राउत ने भगवान जगन्नाथ को समर्पित धार्मिक पूजा गीत को ओडिसी नृत्य के माध्यम से प्रस्तुति दी। ओडिसी नृत्य की प्रसिद्ध कलाकार डॉ. पूर्णाश्री द्वारा मंच पर नृत्य का ऐसा रूप दर्शकों को देखने मिला कि सभी अपनी नजरें गड़ाए हुए उनके हर मुद्राओं और भाव-भंगिमाओं को कौतुहलवश निहारते रहे। उनके भाव भंगिमा युक्त ओडिसी नृत्य ने दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर दिया। दर्शकगण भगवान जगन्नाथ की धार्मिक गीत आराधना देख भक्तिमय माहौल में डूब गए।

दीपान्निता सरकार

मंच पर उतरा लखनऊ घराने और जयपुर घराने का बेजोड़ संगमदिल्ली से पहुंची कथक नृत्यांगना सुश्री दीपान्निता सरकार की ने चक्रधर समारोह की दूसरी शाम मंच पर प्रस्तुति दी। नृत्य के दौरान उनकी भाव भंगिमाओं और मुद्राओं ने पूरे कार्यक्रम में समा बांध दिया। दीपान्नीता सरकार कथक के लखनऊ घराने की हैं और प्रस्तुति दे रहे कलाकार सौरभ जयपुर घराने से ताल्लुक रखते हैं। इस तरह मंच पर लखनऊ और जयपुर घराने का बेजोड़ संगम दर्शकों को देखने को मिला। पूरी प्रस्तुति के दौरान नर्तकों की पखावज, हारमोनियम बांसुरी और तबले के साथ संगत देखते ही बनती थी। हम कथक कलाकारों को राजा चक्रधर सिंह के बारे में पढ़ाया जाता है। हम कलाकार बचपन से उनके कला अवदानों के बारे में सीखते आए हैं। आज उनकी नगरी में हमे अपनी कला के प्रदर्शन का मौका मिल रहा है। यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है।

पद्मश्री रंजना गौहर

भक्तिकाल के महान कवि कबीर का जीवन नृत्य विधा के जरिए आज चक्रधर समारोह के मंच पर तब सजीव हो उठा जब पद्मश्री रंजना गौहर ने ओडिसी नृत्य के माध्यम से उनकी जीवन यात्रा को दिखाया। रहस्यवादी कवि कबीर के अपने माता नीमा और पिता नीरू से संवाद और उनके जीवन के अलग अलग पड़ावों, उनकी सीख और अनुभवों को पद्मश्री रंजना गौहर और उनके साथी कलाकारों ने नृत्य मुद्राओं से रोचक तरीके से प्रस्तुत किया। कबीर के दोहों और भजन पर सुरमयी और लयबद्ध प्रस्तुति देखना दर्शकों के लिए अद्भुत अनुभव रहा।
श्रीमती रंजना गौहर को ओडिसी नृत्य के क्षेत्र में उनके योगदानों के लिए 2003 में प्रतिष्ठित पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। वह भारत के राष्ट्रपति से 2007 में राष्ट्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार भी प्राप्त कर चुकी हैं। वे ख्यातिप्राप्त नृत्यांगना होने के साथ ही प्रसिद्ध पटकथा लेखक, कोरियोग्राफर और फ़िल्म निर्मात्री भी हैं। उनका जन्म दिल्ली में हुआ,बचपन में कथक सीखने के बाद उन्होंने मणिपुरी नृत्य सीखा और ओडिसी नृत्य से साक्षात्कार होने पर उन्होंने अपना जीवन इसी नृत्य शैली को समर्पित कर दिया। उन्होंने डॉक्यूमेंट्रीज बनाकर ओडिसी नृत्य को पूरे देश में विशिष्ट पहचान दिलाई। मिले। उन्होंने अपनी किताब ओडिसी, ‘द डांस डिवाइन’ में ओडिसी नृत्य की बारीकियों को बताया है। ‘ओडिसी’ ओडिशा राज्य की एक शास्त्रीय नृत्य शैली है। इस शैली का जन्म मंदिर में नृत्य करने वाली देवदासियों के नृत्य से हुआ था।

  • श्री विजय शर्मा एवं टीम
    श्री विजय शर्मा एवं उनकी टीम
  • श्री विजय शर्मा एवं टीम
    श्री विजय शर्मा एवं उनकी टीम
  • श्री विजय शर्मा एवं टीम
    श्री विजय शर्मा एवं उनकी टीम
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    पद्मश्री रंजना गौहर

09/09/2024, सोमवार

श्री रामप्रसाद सारथी

चक्रधर समारोह की तीसरी शाम संगीत विशारद से सम्मानित श्री रामप्रसाद सारथी के शास्त्रीय गायन से शुरू हुआ। उनके मधुर स्वर से सजे भजनों से श्रोताओं को भक्ति रस से सराबोर कर दिया। ईश्वर और भक्त के बीच के संवाद को उन्होंने भजन ‘हे ईश्वर आपने हमे क्या नही दिया, हमें मालूम हमने आपके लिए क्या किया, ऐसा क्या काम किया मैंने कि तूने मेरा हाथ थाम लिया के जरिए बड़ी खूबसूरती से पहुंचाया।

सुश्री जया दीवान

रायगढ़ की कथक नृत्यांगना सुश्री जया दीवान ने अद्भुत नृत्य प्रस्तुति दी। जया दीवान ने अपनी प्रस्तुति में पारंपरिक कथक के साथ-साथ आधुनिक शैलियों का समावेश करते हुए दर्शकों का दिल जीत लिया। उनकी नृत्य कला में शुद्ध तकनीकी कौशल के साथ भाव और अभिव्यक्ति का भी अनोखा मिश्रण देखने को मिला। जया की प्रस्तुति के दौरान कथक के गति और घुंघरू की अद्भुत तालमेल शामिल रही। जया की प्रस्तुति को दर्शकों ने भरपूर सराहना दी।

सुश्री धरित्री सिंह चौहान

रायगढ़ के ही निवासी रायगढ़ घराने की कथक कलाकार सुश्री धरित्री सिंह चौहान आकर्षक कथक की प्रस्तुति देकर दर्शकों का मन जीता। उन्होंने श्रीरामचंद्र कृपालु भजमन..से कथक की शुरूआत कर अलग -अलग छंद-छंद में अपनी चाल की बेहद अमिट छाप छोड़ी

श्री शैंकी सिंह

श्री शैंकी सिंह ने गणेश वंदना में दिखाई कथक की मोहक बारीकियां
पद्म विभूषण पंडित श्री बिरजू महाराज के शिष्य श्री शैकी सिंह ने नई शैली में कथक की प्रस्तुति दी। उन्होंने भगवान श्री गणेश की स्तुति वंदना पर आधारित गजमुख लागे अति सुन्दर.. गरजत-गरजत घनघोर बादल… पर आकर्षक कथक नृत्य की प्रस्तुति के माध्यम से दर्शकों का मन मोह लिया। वे अल्पायु से कथक सीख रहे हैं और वर्तमान में कथक की बारीकियों पर शोध कर रहे है, जो उनकी प्रस्तुति में उनकी भाव-भंगिमा, मुद्राओं में स्पष्ट रूप से दिखायी दी। कई पुरुस्कारों से सम्मानित कलाकार श्री शैंकी सिंह ने कथक नृत्य की प्रस्तुति से राजा चक्रधर सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की।

श्री जीतू शंकर

देशी विदेशी वाद्य यंत्रों की जादुई संगत से चक्रधर समारोह का मंच हुआ रोमांचित | मुंबई के नामचीन कलाकार जीतू शंकर ने अपनी टीम के साथ दी फ्यूजन संगीत की प्रस्तुति |तबला, संतूर, सितार, सारंगी, ड्रम्स और जैम्बे के साथ श्रोताओं की तालियों ने भी की जुगलबंदी |
चक्रधर समारोह में नामचीन तबला वादक और परकशन आर्टिस्ट जीतू शंकर ने फ्यूजन संगीत की अनोखी प्रस्तुति दी। जिसमें शास्त्रीय वाद्य यंत्रों सारंगी, सितार और संतूर की सुरीली धुनों के साथ तबले की थाप व ड्रम्स और परकशन की जादुई संगत सुनने को मिली। जिससे श्रोताओं के साथ समारोह का पूरा मंच रोमांचित हो उठा। देश राग से उनकी प्रस्तुति शुरू हुई। जिसमें उन्होंने राजा चक्रधर सिंह को ‘महाराज जी थारे घर आए’ गीत के माध्यम से नमन किया। मंच पर वाद्य यंत्रों से जब पधारो म्हारे देश के सुर निकले तो अपने देश की मिट्टी की खुशबू संगीत के धुनों के रूप सुनने वालों के जेहन में उतर गई। संतूर में बजती पहाड़ी धुनों ने श्रोताओं को कश्मीर की वादियों में होने का एहसास दिलाया। कार्यक्रम में शांत और मधुर रागों से शुरू हुआ सांगीतिक सफर धीरे-धीरे ऊर्जावान धुनों में तब्दील हो गया, संगीत की हर धुन में भारतीय शास्त्रीय संगीत की गहराई और आधुनिकता का अनोखा संगम था। श्री जीतू शंकर के साथ उनके दोनों बेटों ऋषभ शंकर ने ड्रम्स पर और जैंबे पर पीयूष शंकर ने संगत की। वहीं सारंगी पर उस्ताद शाहरुख खान, संतूर पर मंगेश जगताप, सितार पर उस्ताद सलमान खान ने संगत की। जीतू शंकर एंड टीम की प्रस्तुति इतनी शानदार रही की सुनने वालों ने तालियों की गडग़ड़ाहट के साथ सभी वादकों के साथ जुगलबंदी की। तबला, संतूर, सितार, सारंगी और ड्रम्स और जैम्बे के साथ श्रोताओं के तालियों की थाप ने समारोह के  पूरे माहौल में अद्भुत ऊर्जा भर दी।

श्री गजेन्द्र पण्डा एवं सुश्री आर्या नंदे

नयी पीढ़ी के,ओडिसी नर्तकों के डायनेमिक कला गुरु श्री गजेन्द्र पंडा, प्रख्यात ओडिसी गुरू, देव प्रसाद-परम्परा के संवाहक हैं। भुवनेश्वर में संचालित,ओडिसी नृत्य संस्थान ‘त्रिधारा’ द्वारा वरिष्ठ कलाकारों सहित ओडिसी नर्तकों को नई पौध तैयार करते है। गुरु श्री गजेन्द्र कुमार पंडा हर वर्ष ‘देवधारा के नृत्य आयोजन से नये एवं स्थापित कलाकारों को साझा मंच उपलब्ध कराते हैं। अनेक राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय सम्मानों से नवाजे गये गुरु श्री गजेन्द्र कुमार पंडा ओडिसी नृत्य के अनेक समवेत घुंघरूओं को समुद्र पार के अनेक देशों में ले जाने का गौरव प्राप्त है। उन्होंने 39 देशों में अपनी प्रस्तुति दी है साथ ही साहित्य अकादमी पुरुस्कार सहित देश विदेश के नामचीन पुरुस्कारों से सम्मानित हो चुके है। इसके साथ ही ओडिय आकाश की बेहद दमकती हुई युवा तारिका सारंगढ़ की सुश्री आर्या नन्दे की में विशिष्ट सहभागिता दी |
गौरतलब है की ओडिसी नृत्य का घर है और भारतीय शास्त्रीय नृत्य के अनेक रूपों में से एक है। इंद्रीय और गायन के रूप में ओडिसी प्रेम और भाव, देवताओं और मानव से जुड़ा, सांसारिक और लोकोत्तर नृत्य है। नाट्य शास्त्र में भी अनेक प्रादेशिक विशेषताओं का उल्लेख किया गया है। दक्षिणी-पूर्वी शैली उधरा मगध शैली के रूप में जाती है, जिसमें वर्तमान ओडिसी को प्राचीन अग्रदूत के रूप में पहचाना जा सकता है। ओडिसी नृत्य श्री विष्णु के आठवें अवतार एवं महाप्रभु  जगन्नाथ की भक्ति पर आधारित होती है। धड़ संचालन ओडिसी शैली का एक बहुत महत्वपूर्ण और एक विशिष्ट लक्षण है। इसमें शरीर का निचला हिस्सा स्थिर रहता है और शरीर के ऊपरी हिस्से के केन्द्र द्वारा धड़ धुरी के समानान्तर एक ओर से दूसरी ओर गति करता हैं। इसके संतुलन के लिए विशिष्ट प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है इसलिए कंधों या नितम्बों की किसी गतिविधि से बचा जाता है। यहाँ समतल पांव, पदांगुली या ऐड़ी के मेल के साथ निश्चित पद-संचालन हैं। यह जटिल संयोजनों की एक विविधता में उपयोग की जाती है। यहां पैरों की गतिविधियों की बहुसंख्यक संभावनाएं भी हैं। अधिकतर पैरों की गतिविधियां धरती पर या अंतराल में पेचदार या वृत्ताकार होती हैं। पैरों की गतिविधियों के अतिरिक्त यहाँ छलांग या चक्कर के लिए चाल की एक विविधता है और निश्चित मुद्राएं मूर्तिकला द्वारा प्रेरित हैं। इन्हें भंगी कहा जाता है, यह एक निश्चित मुद्रा में गतिविधि की समाप्ति के वास्ताविक संयोग है। हस्तमुद्राएं नृत्त एवं नृत्य दोनों में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। नृत्त में इनका उपयोग केवल सजावटी अलंकरणों के रूप में किया जाता है और नृत्य में इनका उपयोग सम्प्रेषण में किया जाता है।

चांद अफजल कादरी

रायगढ़ में चक्रधर समारोह की चौथी शाम दिल्ली से पहुंचे चांद अफजल कादरी कव्वाली का कार्यक्रम पेश किया। देर रात शुरू हुए इस कार्यक्रम का लोग बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। जैसे ही चांद अफजल कादरी ने वतन की मोहब्बत पर अपनी पहली कव्वाली शुरू की तो सुनने वालों का उत्साह देखते बनता था। पूरे कार्यक्रम के दौरान बीच बीच में मिसरे और शेर का दौर भी चलता रहा। सुनने वालों ने भी जुगलबंदी मिलाई। चांद अफजल कादरी ने आदमी आदमी से मोहब्बत करे, छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नयना मिलाई के, दमादम मस्त कलंदर जैसे गीतों पर प्रस्तुति दी। देर रात तक कव्वाली का सिलसिला चलता रहा। चांद अफजल कादरी लंदन, अमेरिका, मॉरीशस जैसे देशों में भी कव्वाली गायन की प्रस्तुति दे चुके है।

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    श्री रामप्रसाद सारथी
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10/09/2024, मंगलवार

श्रीमती अनिता शर्मा

चक्रधर समारोह-2024 के चौथी संगीत संध्या में रायगढ़ की अनिता शर्मा ने भगवान श्री गणेश वंदन घर में पधारो गजानन जी सामूहिक भक्ति गीत गायन व जयकारे के साथ भक्तिमय माहौल में कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। उनके सुमधुर प्रस्तुति नगरी हो अयोध्या की … रघुकुल का घराना हो गीत से दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। मौके पर उन्होंने एक से बढ़कर एक भक्ति गीत की प्रस्तुति दे रही है।

सुश्री नीत्या खत्री

कार्यक्रम की दूसरी कड़ी में नीत्या खत्री की कथक प्रस्तुति ने भाव-भंगिमाओं और मुद्राओं ने पूरे कार्यक्रम में समा बांध दिया। नित्या खत्री रायगढ़ घराने के श्री भूपेन्द्र बरेठ कत्थक नृत्य से शिक्षा प्राप्त कर रही है। कथक शब्द का उदभव कथा शब्द से हुआ है जिसका शाब्दिक अर्थ है कथा कहना। यह नृत्य मुख्य रूप से उत्तरी भारत में किया जाता है। कथक नृत्य शैली में विशेष रूप से रायगढ़ घराना, लखनऊ घराना, जयपुर घराना प्रसिद्ध है। कथक नृत्य की प्रस्तुति से पहले उन्होंने कहा कि मैं आज जो भी ही अपने गुरू की वजह से। उन्होंने इस मंच पर प्रस्तुति प्रदान के लिए जिला प्रशासन को धन्यवाद ज्ञापित की।

श्री तपसीर मोहम्मद

चक्रधर समारोह की चौथी शाम अकॉर्डियन की सुरीली धुनों से ये शाम सजी। रायपुर से पहुंचे तपसीर मोहम्मद और उनकी टीम ने कई प्रसिद्ध गीतों की इंस्ट्रुमेंटल प्रस्तुति दी। कार्यक्रम की खासियत रही की इसमें 8 वर्ष की नन्ही कलाकार से लेकर 77 साल के लीजेंड कलाकार तपसीर मोहम्मद ने साथ मिलकर ऐसा कार्यक्रम पेश किया कि श्रोताओं की वाहवाही उन्हें पूरे कार्यगिम के दौरान मिलती रही। जीना यहां मरना यहां इसके सिवा जाना कहां, आज कल तेरे मेरे प्यार के चर्चे, अजी ऐसा मौका फिर कहां मिलेगा.. एन इवनिंग इन पेरिस, गुलाबी आंखे जो तेरी देखीं जैसे गीतों पर शानदार प्रस्तुति दी।
जब चक्रधर समारोह के मंच पर पहुंचे अफ्रीकी कलाकार, कहा छत्तीसगढिय़ा सबले बढिय़ा
चक्रधर समारोह के मंच पर आज एक अनोखा नजारा दिखा। जब एकॉर्डियन वादन की एंकरिंग करने मंच पे अफ्रीकी कलाकार पहुंचे। जिसे देखकर दर्शक भी कौतूहल से भर उठे। साउथ अफ्रीका से पहुंचे जी रेक्स और क्रोनी हॉनिड दर्शकों को कार्यक्रम का ब्यौरा देते रहे। जिसका सुनने वालों ने खूब लुत्फ  उठाया। अपने बीच विदेशी कलाकारों को पाकर श्रोताओं में खासा उत्साह देखने को मिला।

श्री शिव प्रसाद राव

दिल्ली के श्री शिव प्रसाद राव शास्त्रीय गायन पर अपनी प्रस्तुति दे रहे है। शास्त्रीय संगीत भावों और रागों का खूबसूरत संगम है। पंडित शिव प्रसाद आकाशवाणी दूरदर्शन सहित विभिन्न प्रतिष्ठित मंचों पर अपनी प्रस्तुतियां दे चुके हैं। शास्त्रीय गायन की शुरुआत वैदिक काल से हुई। शास्त्रीय संगीत की दो पद्धतियां हैं हिंदुस्तानी संगीत और कर्नाटक संगीत। पंडित शिव प्रसाद की शिक्षा दीक्षा कटक में हुई हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायन में विशेष रुचि के कारण ग्वालियर शास्त्रीय घराने से उन्होंने प्रशिक्षण प्राप्त किया। हिंदुस्तानी संगीत में ध्वनि के प्रधानता होती है जबकि कर्नाटक संगीत में भाव की प्रधानता होती है।

श्रीमती बासंती वैष्णव और ज्योतिश्री बोहिदार

रायगढ़ कत्थक घराने की प्रख्यात कत्थक नृत्यांगना श्रीमती बासंती वैष्णव और ज्योतिश्री बोहिदार मां-बेटी की जोड़ी ने कत्थक नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी। चक्रधर समारोह के अवसर पर आज मां-बेटी की जोड़ी द्वारा मां गंगा के धरती पर अवतरण का जीवंत प्रदर्शन ठा.गजमड़ी सिंह जी की रचना के माध्यम से कार्यक्रम की मनमोहक प्रस्तुति दी। रायगढ़ घराने के कत्थक को श्रीमती बासंती वैष्णव द्वारा चीन, फ्रांस, जापान, दुबई जैसे कई देशों में प्रस्तुत कर गौरवांवित किया गया है। इसी प्रकार श्रीमती ज्योतिश्री बोहिदार द्वारा भी स्पेन, नेपाल, दुबई जैसे कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर रायगढ़ घराने के मनमोहक कत्थक नृत्य की प्रस्तुति दी जा चुकी है। उनके द्वारा आज चक्रधर समारोह में विशुद्ध रूप से रायगढ़ घराने के कत्थक शैली में अंग एवं भाव संचालन के माध्यम से मनमोहक प्रस्तुति दी गई। श्रीमती ज्योतिश्री बोहिदार रायगढ़ घराने की तीसरी पीढ़ी की कत्थक नृत्यांगना है और वे वर्तमान में पं. राजेंद्र के पास शिक्षा प्राप्त कर रही है। भारतीय संगीत और नृत्य शास्त्र इन जैसे कलाकारों से ही संपन्न होता है। प्रख्यात कत्थक नृत्यांगना श्रीमती बासंती वैष्णव और ज्योतिश्री बोहिदार की टीम में बेहतरीन तबला वादक, बांसुरी, मुजिकल आदि द्वारा मनमोहक प्रस्तुति दी गई।

श्री राकेश चौरसिया

ग्रैमी अवार्ड विजेता श्री राकेश चौरसिया ने बांसुरी वादन के मनमोहक प्रस्तुति से श्रोताओं का मन मोह लिया। राकेश चौरसिया ख्याति प्राप्त बांसुरी वादक श्री हरिप्रसाद चौरसिया के भतीजे हैं।
वादन सहयोगी श्री रूपक भट्टाचार्य के साथ बांसुरी वादन की सुमधुर स्वर प्रस्तुति दी। श्री राकेश चौरसिया ने स्वर और ताल के बेहतर संयोजन के साथ मानवीय भावनाओं को कुशलता से व्यक्त करती हुई राग हेमावती की अद्भुत प्रस्तुति दी।

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    श्रीमती अनिता शर्मा
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    श्री राकेश चौरसिया

11/09/2024,  बुधवार

सुश्री सौम्या नामदेव

रायगढ़ के रामलीला मैदान में आयोजित चक्रधर समारोह के पांचवी संगीत संध्या में रायगढ़ की नन्ही होनहार सौम्या नामदेव ने कथक नृत्य पर आकर्षक प्रस्तुति दी। तबले की थाप एवं अन्य वाद्य यंत्रों की बेहतर संयोजन के साथ कथक नृत्यांगना सुश्री सौम्या नामदेव ने अपनी भाव भंगिमाओं बेहतर तालमेल स्थापित किया

सुश्री दीप माला सिंह

कलाधानी रायगढ़ में आयोजित चक्रधर समारोह में रायगढ़ की कथक नृत्यांगना दीपमाला ने अपनी मनभावन अदाकारी से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।  इंदिरा संगीत कला विश्वविद्यालय खैरागढ़ से स्नातक की उपाधि प्राप्त सुश्री दीप माला सिंह के कथक नृत्य को न केवल गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है बल्कि उन्हें  कला रत्न सम  सहित अनेक सम्मान से नवाजा गया है। दीपमाला जी के साथ  कथक पर संगत कर रहे हैं खैरागढ़ से श्री गौतम दासए वाराणसी उत्तर प्रदेश से श्री शिवांशु चौबेए मध्य प्रदेश से श्री अजय कुमार कुशवाहा, जगदलपुर से सितार वादक श्री अखिलेश सेठिया और शक्ति जिले से श्री सौरभ पटेल

सुश्री रीति लाल

39वे चक्रधर समारोह के पांचवे दिन आज रायपुर की सुश्री रीति लाल ने अमीर खुसरो के प्रसिद्ध मोसे नैना मिलाई के गीत पर नृत्य और भाव की बहुत ही सुंदर और सुमधुर कत्थक की प्रस्तुति दी जिसने लोगो का मन मोह लिया। छाप तिलक सब छीनी रे तोसे नैना मिलाई के गीत के स्वर अनिलभान भट्टाचार्य और कंपोजिशन अनुरेखा घोष कोलकाता द्वारा दिया गया है। सुश्री रितीलाल को अनेक राष्ट्रीय, अंतराष्ट्रीय पुरुस्कार से नवाजा जा चुका है। सुश्री रीति लाल श्री तरुण शर्मा की शिष्या है।

सुश्री अनुष्का सोनी

रायगढ़ राजा चक्रधर समारोह की सांगीतिक यात्रा के पांचवे दिन आज कला प्रदर्शन के प्रथम चक्र समाप्ति के बाद द्वितीय चक्र में जबलपुर के सेनिया घराने से संबद्ध सुश्री अनुष्का सोनी द्वारा सुरीली सितार वादन की मनमोहक प्रस्तुति दी गई। सुश्री अनुष्का सोनी चौथे पीढ़ी की विख्यात प्रतिष्ठित सितार वादिका है। सुश्री अनुष्का सोनी बाल्यावस्था से ही सांगीतिक शिक्षा अपने दादा श्री रूप कुमार सोनी और पिता से तालीम प्राप्त कर रही है। श्री रूप कुमार सोनी अंतर्राष्ट्रीय सीतार वादक है साथ ही प्रसिद्ध बासुरी वादक भी है। सुश्री अनुष्का सोनी ने राज्य स्तरीय युवा महोत्सव ग्वालियर में प्रथम स्थान, संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित कला उत्सव में प्रथम स्थान, भारत संस्कृति उत्सव में प्रथम स्थान सहित अनेक पुरुस्कार और सम्मान प्राप्त किए है।

सुश्री उपासना भास्कर

धमतरी की उपासना भास्कर ने शिव स्तुति पर आधारित मनमोहक कथक  नृत्य पेश किया। उपासना ने महज 9 वर्ष की उम्र में ही गुरु मनुराज से  कथक  की बारीकियों को सीख लिया था। उनका कथक नृत्य मुख्यत: राधा कृष्ण के प्रणय पर आधारित है। उपासना ने देश के विभिन्न प्रतिष्ठित कला मंचों पर अपने प्रतिभा का प्रदर्शन किया। उन्हें नाट्य नर्तक,  नृत्यानुभूति सहित अनेक सम्मान से नवाजा जा चुका है।

सुश्री विधिसेन गुप्ता

शक्ति जिले की विधिसेन गुप्ता ने महिषासुर वध एवं मां दुर्गा के विहंगम रूप का ओडिसी नृत्य के जरिए शानदार प्रस्तुतीकरण किया। उन्होंने मानव उद्धारणा जिसमे श्री कृष्ण द्रौपदी के चीरहरण के समय उनकी गरिमा की रक्षा के लिए प्रकट होते हैं] अपने भावों और कुशल अंग संचालन के जरिए  बेहतरीन प्रस्तुतीकरण किया। विधिसेन गुप्ता की प्रारंभिक शिक्षा शक्ति जिले में हुई एवं उच्च शिक्षा गुरु घासीदास केंद्र विश्वविद्यालय में प्राप्त किया। इन्होंने अपने गुरु गजेंद्र पंडा से ओडिसी की शिक्षा प्राप्त की। विधिसेन न केवल भारत बल्कि सिंगापुर मलेशिया जैसे देशों में अपने नृत्य का प्रदर्शन कर चुकी हैं।

सुश्री मीनाक्षी शेषाद्रि

प्रसिद्ध अभिनेत्री और विख्यात नृत्यांगना सुश्री मीनाक्षी शेषाद्रि ने दी घुंघरू को समर्पित मनमोहक प्रस्तुति | भरतनाट्यम शैली में पंचदेव आराधना का किया भावुक प्रस्तुतिकरण | बीस साल बाद सुश्री मीनाक्षी शेषाद्रि ने शास्त्रीय नृत्य का सफर रायगढ़ की सांगीतिक धरा से फिर से किया शुरू | ओडीसी और भरतनाट्यम की दी प्रस्तुति | सांगीतिक यात्रा के पांचवे दिन आज राजा चक्रधर समारोह में मुंबई से आई फिल्म जगत की प्रसिद्ध अदाकारा और भरतनाट्यम की विख्यात नृत्यांगना सुश्री मीनाक्षी शेषाद्रि ने बहुत ही सुंदर भरतनाट्यम की प्रस्तुति दी। बीस साल बाद सुश्री  मीनाक्षी शेषाद्रि ने शास्त्रीय नृत्य का सफर रायगढ़ की सांगीतिक धरा से फिर से शुरू किया। उन्होंने भरतनाट्यम शैली में पंचदेव आराधना का बेहतरीन प्रस्तुतिकरण किया जिससे चक्रधर समारोह में उपस्थित सभी लोगो के मन में देवी देवताओं के पांचों रूप का  भावविभोर करने वाला रूप प्रस्तुत हुआ। सुश्री मीनाक्षी शेषाद्रि ने यूएसए से भारत वापसी के बाद आज बीस साल के बाद रायगढ़ की सांगीतिक धरा में भरतनाट्यम की पहली बार प्रस्तुति दी है। उन्होंने भगवान श्री गणेश की स्तुति से आरंभ करते हुवे नृत्य और उल्लास का बेहतरीन प्रदर्शन प्रभु नटराज शिव, मां सरस्वती, भगवान शिव के तांडव रूपए देवी के शांत, श्रृंगार सुंदरता रूप और मां चंडी के रूप सहित भगवान श्री कृष्ण के रूप का प्रदर्शन करते हुवे मंत्रमुग्ध करने वाला पंचदेव आराधना का प्रदर्शन किया। सुश्री मीनाक्षी शेषाद्रि का फिल्मी कैरियर में भी एक अलग पहचान है। इनके भीतर प्रख्यात फिल्मी पर्दे के इतर विशेष  सांस्कृतिक संपन्नता है। इन्होंने बाल्यावस्था में तीन साल की उम्र से ही संगीत व नृत्य सीखना शुरू कर दिया था। वे एक, दो या तीन नही बल्कि भरतनाट्यम, कत्थक, ओडीसी और कुचीपुड़ी सहित चार शास्त्रीय विधा में पारंगत है। उन्होंने आज चक्रधर समारोह में ओडीसी और भरतनाट्यम की मनमोहक प्रस्तुति दी। इन्होंने पेंटर बाबू, दामिनी जैसी कई चर्चित फिल्मों में अपनी कला का प्रदर्शन किया है। इन्होंने देश और देश से बाहर भी भरतनाट्यम का कई बड़े मंचो पर प्रदर्शन किया है। उन्होंने राजा चक्रधर समारोह में आए सभी दर्शकों को संबोधित करते हुए कहा की यहां आकर मैं अपने भीतर बहुत ही उल्लास का अनुभव कर रही हूं। राजा चक्रधर समारोह के अवसर पर रायगढ़ जिले में बहुत ही मनोरम वातावरण है। उन्होंने कहा की मां सरस्वती के आशीर्वाद से ही मैं आपके सामने हूं। उन्होंने कहा की आज की तारीख उनके लिए बहुत ही खास है।

श्री राकेश शर्मा और श्रीमती निशा शर्मा

रायगढ़ में जन्मे  राकेश ने 1996 से अपनी संगीत यात्रा की शुरुआत की। उन्होंने भारत के विभिन्न मंचों पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए सूफी का परचम लहराया। राकेश शर्मा को प्रसिद्धि सब टीवी शो के संगीत प्रतियोगिता से मिली। उन्होंने अब्बड मया करथो गीत में बेस्ट प्लेबैक सिंगर का अवार्ड जीता। उनका सूफियाना गीत के प्रति शोध कार्य अभी भी जारी है। उनकी पत्नी श्रीमती निशा शर्मा रायगढ़ राजघराने के राजाराम गुरु की प्रपौत्री हैं और अपने पति श्री राकेश शर्मा के साथ सूफी गायन करती हैं।

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    श्री राकेश शर्मा और श्रीमती निशा शर्मा
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    श्री राकेश शर्मा और श्रीमती निशा शर्मा

12/09/2024, गुरूवार

श्री अंशुल प्रताप सिंह

चक्रधर समारोह में आज भोपाल के प्रसिद्ध तबला वादक श्री अंशुल प्रताप सिंह ने अपने तबले की थाप से संगीत की इस सुरमयी शाम को गूंजायमान कर दिया। उन्होंने कैलाश पर्वत पर भगवान शिव के तांडव नृत्य को तबले की थाप से अभिव्यक्त किया। श्री अंशुल ने अपने दादा श्री हरिश्चंद्र सिंह और पिता ठाकुर उदय प्रताप सिंह से तबले की प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। वर्तमान में वे अपने गुरु श्री संजय सहाय से तबला वादन का विशेष प्रशिक्षण ले रहे हैं। श्री अंशुल ने सिंगापुर, मलेशिया, थाईलैंड सहित देश-विदेश के विभिन्न प्रतिष्ठित मंचों पर अपनी कला प्रतिभा का प्रदर्शन किया। उन्होंने ताज महोत्सव, खुजराहो महोत्सव  सहित विभिन्न समारोह एवं अवसरों पर अपने तबला वादन से कला प्रेमियों को संबोधित किया। उन्होंने मोहन वीणा वादक पंडित विश्व मोहन भट्ट, बांसुरी वादक श्री हरिप्रसाद चौरसिया जैसे विश्व विख्यात  कलाकारों के साथ तबले पर संगत किया।

श्री राहुल शर्मा

देश के प्रसिद्ध संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा के पुत्र श्री राहुल शर्मा ने आज चक्रधर समारोह में रायगढ़ की धरती को संगीत के सुरों सराबोर कर दिया। संतूर के सुर के जरिए उन्होंने कश्मीर के पहाड़ी संगीत से कला प्रेमियों को रूबरू करवाया। श्री राहुल शर्मा ने अपने पिता श्री शिव कुमार शर्मा से संतूर सीखा।  श्री शर्मा ने एडिनबर्ग  फेस्टिवल सहित देश.विदेश के तमाम कल मंचों पर अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित किया। उन्होंने बॉलीवुड फिल्मों में भी अपने संगीत से रूबरू कराया। श्री राहुल विश्व विख्यात तबला वादक श्री जाकिर हुसैन के साथ संतूर का संगत कर चुके हैं।
संतूर एक तन्त्री वाद्य यंत्र है। इसका भारतीय नाम ‘शततंत्री वीणा’ यानी सौ तारों वाली वीणा है जिसे बाद में फारसी भाषा से संतूर नाम मिला।  संतूर मूल रूप से कश्मीर का लोक वाद्य यंत्र है और इसे सूफी संगीत में इस्तेमाल किया जाता था। इसे विश्व पटल पर प्रतिष्ठित करने का श्रेय पंडित शिवकुमार शर्मा को जाता है।

सुश्री अन्विता विश्वकर्मा

चक्रधर समारोह के छठवें दिन आज रायपुर की नन्ही कलाकार सुश्री अन्विता विश्वकर्मा ने पूरे चक्रधर समारोह में यश की चांदनी बिखेरी। सुश्री अन्विता विश्वकर्मा ने गणपति जगवंदन पर नृत्य और भाव की बहुत ही सुंदर और सुमधुर कत्थक की प्रस्तुति दी जिसने सभी श्रोताओं का मन मोहा। सुश्री अन्विता विश्वकर्मा मात्र तीन वर्ष की उम्र से नृत्य कला से जुड़ गई थी। वर्तमान में वे लखनऊ घराने के कत्थक नृत्य में निपूर्ण हो चुकी है। वे श्री अनुराग ठाकुर की शिष्या है। सुश्री अन्विता विश्वकर्मा अपने दादा श्री आर.एस. विश्वकर्मा जैसा आईएएस ऑफिसर बनना चाहती है।

सुश्री दीक्षा घोष

रायगढ़ की बेटी सुश्री दीक्षा घोष और उनकी टीम द्वारा आज माता रानी के रौद्र रूप और नारी शक्ति को भरतनाट्यम नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। सुश्री दीक्षा घोष रायगढ़ में भरतनाट्यम की नृत्य शिक्षिका है। उन्होंने पश्चिम बंगाल के रविन्द्र भारतीय विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की है। उन्हें उत्तराखंड के भागीरथी उत्सव पुरुस्कार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, भिलाई, बिलासपुर सहित अन्य कई बड़े शहरों में सुंदर नृत्य प्रस्तुति के लिए पुरस्कृत किया जा चुका है।

डा. जी रथिस बाबू

चक्रधर समारोह के अवसर पर आज भिलाई के डॉ.जी रथीस बाबू के भरतनाट्यम और कुचीपुड़ी पर आधारित खूबसूरत भावभंगिमा और कलाकारी की प्रस्तुति ने सभी दर्शकों का दिल जीत लिया। उन्होंने अपनी सहयोगी टीम के साथ भगवान श्री गणेश, भगवान श्री राम के प्रति अर्चना, अर्धनारीश्वर आदि पर प्रस्तुति दी। डॉ. जी रथीस बाबू आईसीसीआर व संस्कृति मंत्रालय के पैनल्ड आर्टिस्ट है। उन्होंने मध्यभारत में बड़ी संख्या में छात्रों को भरतनाट्यम और कुचीपुड़ी की शिक्षा प्रदान की है।

इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़

रायगढ़/ 39वे चक्रधर समारोह के छठवें दिन इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ द्वारा छत्तीसगढ़ी संस्कृति पर आधारित विविध छत्तीसगढ़ी लोक नृत्य की मन को छूने और झुमाने वाली आकर्षक प्रस्तुति दी गई। जिससे कार्यक्रम स्थल पर दूर दूर से पहुंचे सभी दर्शक कत्थक, भरतनाट्यम, कुचीपुड़ी,  बासुरी, तबला, संतूर, सितार, अकार्डियन वादन, कव्वाली, भजन, गजल सहित विभिन्न शास्त्रीय कलाओं के साथ साथ  छत्तीसगढ़ के करमा, सरहुल, पंथी, गौरा-गौरी, भरथरी आदि लोकरंगो में डूबे। इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ प्रदर्शन एवं ललित कलाओं के शोध में अग्रणी संस्थान है। यह कला, फैशन डिजाइनिंग, उच्च स्तरीय शोध कार्य आदि विभिन्न गतिविधियों के लिए संपन्न है। यह संस्थान लोक कला के प्रचार व संरक्षण के लिए लगातार कार्य कर रहा है। तातापानी महोत्सव, युवा उत्सव, नर्मदा उत्सव, चक्रधर समारोह सहित विभिन्न समारोह में इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय की सक्रिय भागीदारी रहती है। आज चक्रधर समारोह में कला विश्वविद्यालय खैरागढ़ की टीम द्वारा विभिन्न लोककला का प्रदर्शन एवं निर्देशन डॉ. योगेंद्र चौबे, अधिष्ठाता, लोककला लोकरंग (प्राध्यापक) के मार्गदर्शन में प्रस्तुत किया गया। डॉ. योगेंद्र चौबे सहज व सांस्कृतिक नाट्य शैली के लिए जाने जाते है। रंगमंच में उल्लेखनीय योगदान के लिए कई संस्थानों द्वारा इन्हे सम्मानित किया जा चुका है। शोध और लेखन कार्य में भी इनकी गहरी रुचि है। वे पीएचडी के बाद इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय में अध्ययन अध्यापन कार्य में सक्रिय है।

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13/09/2024, शुक्रवार

श्री हुतेन्द्र ईश्वर शर्मा

39वां चक्रधर समारोह में आज सांस्कृतिक संध्या की पहली प्रस्तुति में रायगढ़ जिले के स्थानीय प्रसिद्ध कलाकारों की टीम-हुतेन्द्र ईश्वर शर्मा ने छत्तीसगढ़ के पारंपरिक संस्कृति को गीत एवं सामूहिक नृत्य के माध्यम प्रस्तुत किया। टीम के कलाकारों ने खेती-किसानी पर आधारित, सुआ नृत्य सहित ददरिया गीतों से दर्शकों का मनोरंजन किया।

डॉ राखी राय

39वां चक्रधर समारोह के सातवें दिन आज सांस्कृतिक संध्या की द्वितीय प्रस्तुति रायगढ़ जिले की स्थानीय भरतनाट्यम कलाकार डॉ राखी राय सहित उनकी टीम सुश्री नैनिका कासलीवाल, श्रीजानी बनर्जी ने मंच पर भाव-भंगिमाओं मुद्राओ के साथ आकर्षक नृत्य की प्रस्तुति दी। रायगढ़ जिले की इन कलाकारों ने भरतनाट्यम से अपनी प्रतिभा साबित की है। दूरदर्शन में अपनी प्रस्तुति से पहचान बनाने के साथ ही देश-विदेश में भी इन कलाकारों ने भरतनाट्यम की प्रस्तुति देकर ख्याति अर्जित की है। रामलीला मैदान में आयोजित चक्रधर समारोह में आज भरतनाट्यम की सुंदर प्रस्तुति ने दर्शकों को आनंदित किया।

सुश्री शार्वी केशरवानी

रायगढ़ में आयोजित प्रतिष्ठित चक्रधर समारोह 2024 में अनेक जाने माने विश्वविख्यात कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी जा रही है साथ ही इस मंच के माध्यम से क्षेत्रीय और नन्हे कलाकारों को भी अपनी कला को प्रदर्शित करने, उन्हे उत्साहित करने और आगे बढ़ाने के लिए मंच प्रदान किया जा रहा है। इसी क्रम में आज चक्रधर समारोह के सातवे दिन सारंगढ़ की तेरह वर्षीय कत्थक साधिका सुश्री शार्वी केशरवानी ने आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा रचित शिव पंचाक्षर स्त्रोत पर आधारित मनमोहक नृत्य की प्रस्तुति दी। उनके इस मनमोहक प्रस्तुति से पूरा चक्रधर समारोह कार्यक्रम स्थल ओम नम: शिवाय के मंत्र से गूंज उठा। इस नृत्य में उनके द्वारा ओम नम: शिवाय के साथ पंचतत्व पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश का प्रतिनिधित्व करता मन को छू जाने वाला नृत्य प्रस्तुत किया गया। इसके साथ ही उन्होंने स्व. पंडित बिरजू महाराज द्वारा रचित अर्धांग की प्रस्तुति के साथ कुछ तोड़े-टुकड़े, कवित्त, परन के बाद कुछ लयकारियों के साथ बहुत ही आकर्षक नृत्य की प्रस्तुति दी। सारंगढ़ की तेरह वर्षीय कत्थक साधिका सुश्री शार्वी केशरवानी मोना मॉडर्न इंग्लिश मीडियम स्कूल सारंगढ़ में कक्षा आठवीं की छात्रा है। उन्होंने नृत्य की प्रारंभिक शिक्षा अपनी माता श्रीमती तोषी गुप्ता से प्रारंभ की और वर्तमान में श्रीराम संगीत महाविद्यालय, रायपुर में गुरु डॉ.राजश्री नामदेव के सानिध्य में नृत्य की बारीकियाँ सीख रही है।
कत्थक साधिका सुश्री शार्वी केशरवानी ने इतनी कम उम्र में ही कई राज्यीय, राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मनमोहक प्रस्तुतियां देते हुए अनेक उपाधियाँ और उप्लब्धियाँ 2019 से अब तक लगातार अर्जित करते आ रही है। सुश्री शार्वी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर दुबई एवं थाईलैंड सहित राष्ट्रीय स्तर पर उज्जैन, बैंगलोर, उदयपुर, गोवा, जबलपुर, रायपुर, भिलाई, बिलासपुर, मथुरा, हरिद्वार आदि जगहों पर अब तक लगभग 50 से अधिक मंचों पर अपनी कत्थक की प्रस्तुतियाँ दे चुकी है। सुश्री शार्वी को 2019 में बैंगलोर नृत्य ओजस्वी अवार्ड, थाईलैंड में स्वर्ण अवार्ड, 2020 में नृत्य साधिका सम्मान, 2021 में  कला साधिका सम्मान, 2022 में बाल नृत्यकला श्रेष्ठ अवार्ड, 2022 में दुबई में प्रस्तुति के लिए अन्तर्राष्ट्रीय छात्रवृत्ति तथा दुबई में कत्थक में प्रथम, 2023 में हरिद्वार में उदित सम्मान, इसके अलावा कला अभ्युदिता सम्मान भी उन्होंने प्राप्त किया है। पुन: 2023 में बालनृत्य कला श्रेष्ठ अवार्ड तथा चक्रधर समारोह 2023 तत्पश्चात 2024 में अखंड नूपुर नाद, राष्ट्रीय कला वैभव सम्मान, प्रणवम शिखामणि अवार्ड प्राप्त हुए हैं।

श्री लकी मोहंती

कटक के प्रसिद्ध नर्तक कलाकार श्री लकी मोहंती और विद्या दास ने अपने ओडिसी की प्रस्तुति में पुरी के जगन्नाथ मंदिर में होने वाली आरती और द्रोपदी चीरहरण को अपने नृत्य में रेखांकित किया। उन्होंने अपने सहपाठी कलाकारों के माध्यम से भावभंगिमाओं के साथ लयबद्ध तरीके से नृत्य प्रस्तुत किए। उन्होंने राधा-कृष्ण के अंतरंग अनुराग को भी ओडिसी नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया।

सुश्री मृदुस्मिता दास

चक्रधर समारोह में पहुंचने वाले दर्शकों को विविध भारतीय व क्षेत्रीय शास्त्रीय संगीत, नृत्य आदि कलाओं से परिचित होने का अवसर मिल रहा है। इसी क्रम में आज चक्रधर समारोह के सातवे दिन दर्शकों को 500 साल पुरानी असम का प्रमुख असमिया सत्रिया नृत्य भी देखने का अवसर चक्रधर समारोह मंच के माध्यम से मिला। समारोह में आज रायपुर से पहुंची सुश्री मृदुस्मिता दास और श्री राजीव कुमार दास के युगल द्वारा असमिया सत्रिया नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी गई। इस अनोखे नृत्य की प्रस्तुति ने चक्रधर समारोह के सातवे दिन की शाम को यादगार बना दिया जिसे उपस्थित दर्शक कभी भूल नहीं पाएंगे।
असमिया सत्रिया नृत्य असम का एक सुंदर शास्त्रीय नृत्य है। यह नृत्य आध्यात्मिक व कलाओं से सम्पूर्ण भारतीय सांस्कृतिक नृत्य है। यह पूर्वोत्तर में ठंड के मौसम में सामान्यत: किया जाता है। संगीत के क्षेत्र में सात शास्त्रीय नृत्य है। असमिया सत्रिया नृत्य 8वें शास्त्रीय नृत्य के रूप में शामिल की गई है। यह नृत्य वैष्णव विचारधारा को समर्पित है।