रेडक्रास का जन्म
रेडक्रास का जन्म सन् 1859 में सोलफेरिनो के युद्ध की राख से हुआ। यह युद्ध इटली में फ्रेंच और आस्ट्रीयन योद्धाओं के मध्य हुआ था। इस युद्ध में करीब 6 लाख योद्धाओं ने भाग लिया था। युद्ध के समाप्ति के पश्चात युद्ध भुमि में करीब 40 हजार बीमार, घायल और मरते हुए योद्धा जिन्हे उनके भाग्य के भरोसे छोड़ दिया गया था, युद्ध भुमि में अपनी मौत की राह देख रहे थे। उस समय एक स्विस नागरिक जीन हेनरी ड्यूनांट जो अपनी यात्रा पर उस ओर से गुजर रहे थे, योद्धाओं को खराब हालात में देखा। तब हेनरी ड्यूनांट ने अपनी यात्रा स्थगित कर वहाँ एक राहत समिति आयोजित की ओर बीमार तथा घायल मरीजों की सेवा सुश्रुषा की।
हेनरी ड्यूनांट ने इसके पश्चात अपने गृह नगर ‘जिनेवा‘ लौट आये और उन्होने एक पुस्तक ‘मेमोरी आफ सोल फेरिनो‘ लिखी । इस पुस्तक में अत्यंत ईमानदारी और स्पष्टता के साथ युद्ध के सभी चित्रण और युद्ध से होने वाली खराबियों का वर्णन किया गया था। यह पुस्तक सन् 1862 में प्रकाशित हुई और पूरे विश्व में पढ़ी गई। सिर्फ इतना ही नहीं इस पुस्तक में सर हेनरी ड्यूनांट ने कुछ राह उपायों की भी चर्चा की जिनमें से दो को पूरे संसार में काफी जय जयकार प्राप्त हुई:-
- सभी देशों में राहत समितियां बनायी जाय जो चिकित्सा सेवा करें और युद्ध के समय राहत कार्य करें।
- एक अन्तराष्ट्रीय कानून बनाया जाय जो घायल मरीजों और योद्धाओं का बचाव करें।
अक्टूबर 1863 में अन्तराष्ट्रीय सम्मेलन जिनेवा में हुआ जिसमें 14 राष्ट्रों ने हिस्सा लिया और हेनरी ड्यूनांट के प्रस्ताओं पर विचार किया गया और इसके एक साल बाद ही पुनः 12 राष्ट्रों ने अगस्त 1864 में जिनेवा में बैठक ली। यह बैठक प्रथम जिनेवा सम्मेलन तथा मदर कनवेंसन के नाम से प्रसिद्ध है। यह विश्व की प्रथम रेडक्रास बैठक मानी जाती है।